Monday, May 3, 2010

लिखना

कहना ही है क्या सबकुछ होता है,
तो ओठ हिले, तो क्या काफी नहीं है
खूब ज्यादा लिखना ही तो अच्छा नहीं,
जब दो सबद ही हकीकत बयां कर देते हैं

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