इन्सान को इन्सान से
जुदा कर दिया,
न जाने कितने
हिस्सों में बाँट दिया,
अब फिर से सुरु है
एक नै जद्दोजिहाड़।
पहेल किसी को काला
तो किसी को सफ़ेद बना दिया,
फिर भी न हुई तसल्ली तो
धर्मों में बांट दिया,
तसल्ली न हुई तो और
नफ़रत के बीज
जातियों तक फल दिए।
अब उन्ही को गिनना
चाहते है कि
कितने उगे, कितने रुके है
कितने बचे है जिन्हें और
जलना है, उजाड़ना है,
बिखराना है, बहाने
अपनों के अपनों को ही
बिसर जाना है.
No comments:
Post a Comment