Sunday, June 20, 2010

बन जाओ

कुछ बन जाओ
कुछ कर जाओ
निखार दो अपनी मस्तक को
धार दो अपनी निगाहों को,
बल परिपूर्ण करो बांहों को
फैला दो सीना प्रेम कि बहारो को
मत भूलो इस जीवन के उपकार
मत भूलो मानव का आहार
कर दो मानवता का एक नया
फिर से चमत्कार

जीवन को इतना
उपयोगी कर दो,
हर कोई मानव से प्यार करे
तकरार करे भी तो
एक दूजे से करे प्यार

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