Monday, June 21, 2010

कहा गए वो लोग

एक दिन उसी रस्ते से
गुजर रहा था
चमचम सड़के
ऊँची-ऊँची इमारतो
दिकती थी चहुओर,
हरे भरे पेड़ों से से सजा था
वातावरण गुन्जन्मय था
खुशबू से सरोबर था।

कहते है शिक्षित लोगो और
बौधिक जनों का खूबसूरत
सुन्दर दुनिया है यह,
यही लोग दुनिया को
पढ़ाते है, आगे बढ़ाते है
नई-नई राहे दिखाते है
ना जाने किन- किन
उपायों से
मानव को कौन जाने
कहाँ पहुचाते है।

इसी बस्ती के न जाने
कितने छोटे मोटे काम
अशिक्षित अनजान लोग
इन्ही अच्छे लोगो का काम
निपटाते है. छोटी सी पगार में
न जाने कौन-कौन काम
निपटाते थे. सब बड़ी ही
मासूमियत से बड़ाई कर
काम निकल लेते थे.
इन्ही लोगो में था रघुबीर.

सीधा, साधा, भोला सा
न जाने किस मिटटी का इन्सान
हस्त रहता, गाता जाता
खुस होकर हर छोटा बड़ा
काम निपटता.

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